नारी शिक्षा में महान औरतों का हाथ
Hi hindilook.in के पाठकों मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका स्वागत है। आज का मेरा यह लेख है नारी शिक्षा को आगे बढाने वाली महत्वपर्ण औरतों पर (Essay On women Education) जिन्होने मेहनत करके दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त की आज के युग की जो नारी है। वह पुरुषों के समान आर्मी नेवी से लेकर एमबीए फार्मेसी होटल मैनेजमेंट इंश्योरेंस एजेंट इंजीनियरिंग एकाएक सभी सीढ़ियों को पार करते हुए आसमान तक पहुंच चुकी है।आज की सामाजिक परिस्थिति बदल चुकी हैं। और यदि यह कहा जाए कि उन्हें बदलने वाली नारी है तो कोई गलत बात नहीं है। इस बदलाव की शुरुआत करने वाली हमारे देश की महान महलाए हैं। चाहे जहाज उड़ाना हो या ड्राइविंग बॉक्सिंग हो जा स्पेन में जाने की बात हो जो सोचा वही कर डाला नारी के इस रूप को हर पुरुष परे खड़ा देखता ही रह जाता है।
आइए जाने उन महिलाओं के बारे में जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काम किया और शिक्षा के क्षेत्र में एक अच्छी क्रांति की लहर को दौड़ाया -
सावित्रीबाई फुले
और आगे बढ़ कर समाज सुधारक के तौर पर काम किया उन्होंने लड़कियों कि शिक्षा पर पूरा जोर दिया और उनके हक के लिए लड़ाई भी की, सावित्रीबाई ने बहुत सारे स्कूल खोले और कमजोर जातियों को पढ़ाना शुरू कियाउन्हें दलित जातियों के लोगों द्वारा बहुत तंग किया जाता था जब वह स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने जाती थी उन पर गोबर पत्थर गली सड़ी सब्जियों भी फेंकी गई लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लड़कियों को पढ़ाने का काम नहीं छोड़ा।
वह गायक स्वतंत्रता सेनानी थी। जिन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए स्कूलों की स्थापना की और उनमें महिलाओं को चरखा चलाने और काटने की ट्रेनिंग दी आजादी के संघर्ष में लिप्त होने के बावजूद दुर्गाबाई ने अपनी पढ़ाई के लिए वक्त निकाला और बीए व एमए की डिग्री हासिल की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की मैट्रिक परीक्षा के लिए उन्होंने आंध्र महिला सभा की स्थापना भी की जहां लड़कियों को उससे परीक्षा की ट्रेनिंग दी जा सके।
उन्होंने महिला अधिकारों को अपनी आवाज दी व समाज सुधारक थी। और कई महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचने वाली पहली महिला बनी उन्हें हैदराबाद दक्कन की पहली महिला संपादक माना जाता है। उन्होंने क्षत्रियों के लिए पत्रिका निकाली और आनंद निशा और जेबुन्निसा पत्रिकाओं का संपादन किया उन्होंने पर्दे में कैद जिंदगी से खुद को आजाद किया घर से बाहर बिना पर्दे के निकलने वाली वह हैदराबाद दकन इलाके की पहली महिला मानी जाती है। सन 1934 में उन्होंने हैदराबाद में लड़कियों के लिए मदरसा दरिया शुरू किया जो आज भी सफदरिया गर्ल हाई स्कूल के नाम से चल रहा है।
मारिया मोंटेसरी
कादंबिनी गांगुली
दुर्गाबाई देशमुख
वह गायक स्वतंत्रता सेनानी थी। जिन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए स्कूलों की स्थापना की और उनमें महिलाओं को चरखा चलाने और काटने की ट्रेनिंग दी आजादी के संघर्ष में लिप्त होने के बावजूद दुर्गाबाई ने अपनी पढ़ाई के लिए वक्त निकाला और बीए व एमए की डिग्री हासिल की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की मैट्रिक परीक्षा के लिए उन्होंने आंध्र महिला सभा की स्थापना भी की जहां लड़कियों को उससे परीक्षा की ट्रेनिंग दी जा सके।
सुगरा हुमायूं मिर्जा
उन्होंने महिला अधिकारों को अपनी आवाज दी व समाज सुधारक थी। और कई महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचने वाली पहली महिला बनी उन्हें हैदराबाद दक्कन की पहली महिला संपादक माना जाता है। उन्होंने क्षत्रियों के लिए पत्रिका निकाली और आनंद निशा और जेबुन्निसा पत्रिकाओं का संपादन किया उन्होंने पर्दे में कैद जिंदगी से खुद को आजाद किया घर से बाहर बिना पर्दे के निकलने वाली वह हैदराबाद दकन इलाके की पहली महिला मानी जाती है। सन 1934 में उन्होंने हैदराबाद में लड़कियों के लिए मदरसा दरिया शुरू किया जो आज भी सफदरिया गर्ल हाई स्कूल के नाम से चल रहा है।